Abstract:
प्रस्तुत लेख में यात्रा साहित्य की धारणा और उसकी सार्थकता पर विचार करते हुए लेखिका ने गोवा और उसके सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरी लिपि में लिखी जाने वाली कोंकणी भाषा के यात्रा साहित्य की गंभीर विवेचना करते हुए सम्भावनापूर्ण परिदृश्य प्रस्तुत किया है।